सोमनाथ मंदिर पर बार-बार हमला क्यों किया गया

सोमनाथ मंदिर पर बार-बार हमला क्यों किया गया
सोमनाथ मंदिर पर बार-बार हमला क्यों किया गया

सोमनाथ ऐसा हिंदू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में पहले ज्योतिर्लिंग के तौर पर होती है यह मंदिर इतना भव्य और समृद्ध है कि बाहर से जो कोई भी आता है उसकी पहली नजर सोमनाथ मंदिर पर ही पड़ती है इसी वजह से सोमनाथ मंदिर पर करीब 17 बार आक्रमण भी हुआ लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया तो चलिए जानते हैं सोमनाथ मंदिर का इतिहास

हेलो प्रिंस में Santosh Kumar Swain Www.TechJatri.In में आपका स्वागत है सोमनाथ मंदिर का पूरा नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल के नजदीक स्थित है सोमनाथ मंदिर एक पवित्र तीर्थ है कहते हैं कि यहां भगवान कृष्ण ने यदुवंश का संघार करने के बाद हत्या कर लिया कहा जाता है कि इसे सबसे पहले सोमदेव ने बनवाया उस समय यह सोने का था इसके बाद वह पर युग में जब श्रीकृष्ण गुजरात जाकर बसे तब उन्होंने लकड़ी से इसका निर्माण कराया आखिर में महाराजा भीमदेव ने इस मंदिर का पत्थरों से निर्माण करवाया

ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga)

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है इसकी स्थापना के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं इस पवित्र ज्योतिर्लिंग की स्थापना वहीं की गई थी जहां भगवान शिव ने दर्शन दिए थे असल में ज्योतिर्लिंग दो शब्दों से मिलकर बना है ज्योति का अर्थ है प्रकाश और लिंग का अर्थ है इन्हें छवि ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है कहते हैं कि इन 12 जगहों पर साक्षात भगवान शिव प्रकट हुए थे एक कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति राजा की 27 कन्याओं से विवाह किया था लेकिन उससे ज्यादा प्यार और सम्मान किया करते थे इसलिए बाकी पत्नियों ने अपने पिता दक्ष प्रजापति की एक को छोड़कर बाकी के साथ अन्याय के विरोध में आ गए और उन्होंने को शाप दे डाला

अब हर दिन तुम्हारा तेल कम होता जाएगा आपके अनुसार हर दूसरे दिन चंद्र का तेज घटने लगा यह देख कर परेशान हो उठे उन्होंने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी आखिर में भगवान शिव ने प्रसन्न होकर चंद्र का निवारण किया इस तरह के कष्ट को दूर करने वाले भगवान जी की स्थापना करवाई गई नामकरण सोमनाथ हुआ

चंद्रमा के नाम पर सोमनाथ बने भगवान शिव संसार में सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए इस मंदिर में सरकार लिंग रूप में प्रकट हुए थे

दूसरी कथा (second story)

कहा जाता है कि श्री कृष्ण जी भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे तभी एक शिकारी ने उनके तलवे में बने परिजनों को हिरण की आंख समझकर तीर मार दिया जिसके बाद कृष्ण ने यहीं पर अपना देह त्याग दिया इतिहास कहते हैं कि यहां एक मंदिर ईसा पूर्व से ही अस्तित्व में था जबकि दूसरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ वह सातवीं सदी में भी के मात्रक राजाओं ने किया इसके बाद चंद के अरब गवर्नर ने इस का विनाश किया

1815 यूपी में इसका गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय ने तीसरी बार इसका निर्माण करवाया बाद में इसी लाल पत्थरों से बनवाया गया लेकिन सोमनाथ परंतु द्वारा किए आक्रमण का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं मिलता जबकि नागभट्ट द्वितीय इस तीर्थ स्थान के दर्शन करने सौराष्ट्र आए थे कहा जाता है कि सोलंकी राजा मोर राज ने 997 ईसवी में पहले मंदिर का निर्माण करवाया होगा जबकि कुछ इतिहासकारों का कहना है कि सोलंकी राजा मूलराज दे कुछ पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया था

कहा जाता है कि कई बार यहां राज करने वाले बाहरी शासकों ने इस मंदिर को काफी क्षति पहुंचाई लेकिन कुछ राजाओं ने मिलकर इस धार्मिक स्थल की मरम्मत करवाई सोमनाथ मंदिर को 1024 में महमूद गजनबी ने बुरी तरह तहस-नहस कर दिया वह मंदिर से सोना चांदी हीरे जवाहरात रूठ कर अपने देश वापस चला गया बताया जाता है कि जब महमूद गजनबी को शिवलिंग को नहीं तोड़ पाया तब उसने मंदिर के आसपास आग लगा दी उस वक्त सोमनाथ मंदिर में नीलमणि के 56 खंबे लगे थे जिसमें हीरे मोती के अलावा अलग-अलग तरह के रथ जुड़े थे लेकिन बहुमूल्य रत्नों को लुटेरों ने लूट लिया और मंदिर को भी तहस-नहस कर दिया महमूद गजनबी के मंदिर लूटने के बाद राजा भीमदेव ने इस मंदिर की प्रतिष्ठा की

1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी मंदिर की प्रतिष्ठा की और उसके पवित्रीकरण में पूरा सहयोग किया 1168 में विदेश्वर कुमार पाल ने जब जैन आचार्य हेमचंद्र स्त्री के साथ सोमनाथ की यात्रा की तो उन्होंने भी मंदिर में काफी कुछ सुधार करवाएं सौराष्ट्र के राजा खंगार ने भी सोमनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण करवाया इस तरह जहां भारतीय राजा बार-बार मंदिर का पुनर्निर्माण कराने में जुटे थे वही मुसलमान चार बार इसे नष्ट करने पर अड़े थे अलाउद्दीन खिलजी ने 1297 सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त किया उसके सेनापति ने मंदिर को खूब लूटा

1395 ईस्वी में गुजरात का सुल्तान मुजफ्फर शाह भी मंदिर का विध्वंस करने में जुट गया अपने पिता की राह पर चलते हुए अहमद जाने फिर से 14 से 13 ईसवी में सोमनाथ मंदिर को तोड़ डाला इस तरह मुस्लिम शासकों ने इस मंदिर पर लगातार हमले किए महमूद गजनवी का हमला सबसे ज्यादा चर्चित रहा क्योंकि उसने हमले के दौरान ना जाने कितने लोगों का कत्लेआम किया अंकित ने भारत पर 17 बार हमला किया उसने लगभग 5000 सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया कहते हैं कि उस वक्त लगभग 25000 लोग मंदिर में पूजा करने आए थे

आजादी के बाद पुनर्निर्माण आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने देश की शान और स्वाभिमान को बढ़ाने के लिए सोमनाथ मंदिर का फिर से भव्य निर्माण करवाया आज के समय में यह मंदिर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की शोभा को आए हुए हैं सोमनाथ का मंदिर जो बार बार नष्ट किया गया था वह आज भी अपने मूल स्थान समुद्र के किनारे ही हैभारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया सोमनाथ के मंदिर से कुछ ही दूरी पर अहिल्याबाई द्वारा बनवाया गया सोमनाथ का मंदिर है

मंदिर की खासियत (specialty of the temple)

मंदिर के भूगर्भ में सोमनाथ लिंग की स्थापना की गई है इसके अलावा यहां पार्वती सरस्वती लक्ष्मी गंगा और नंदी की भी मूर्तियां स्थापित है भूमि के ऊपरी हिस्से में शिवलिंग से ऊपर एस्वरमूर्ति है वही मंदिर परिसर में गणेश जी का मंदिर है जबकि उत्तर द्वार के बाहर अघोर लिंग की मूर्ति स्थापित है नगर के द्वार के पास गौरीकुंड नामक सरोवर है जिसके नसीब एक प्राचीन शिवलिंग है तो दोस्तों यह था सोमनाथ मंदिर का लंबा इतिहास मुस्लिम शासकों ने बार-बार हमला कर दिया लेकिन हिंदू शासकों ने मिलकर हर बार उसका पुनर्निर्माण करवाया

आज आपने क्या जाना (what did you go today)

दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको बताया सोमनाथ मंदिर पर बार-बार क्यों हमला किया गया सारी जानकारी हमने आपको दे दी अगर आपको लग रहा है हमने कोई जानकारी मिस कर दिए तो अब हमें कमेंट माध्यम से बता सकते हैं हम जल्दी ही आपका काउंसिल का आंसर देने के लिए प्रयास करेंगे दोस्तों इस आर्टिकल को अपना सोशल अकाउंट में साझा करें साथ में अपना परिवार फ्रेंड्स जिसको भी जानते हो उन्हीं को भी यह आर्टिकल साझा करें दोस्तों जल्दी हम मिलेंगे और एक न्यू आर्टिकल में

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